ए मेरे गणतंत्र..फूँक कुछ ऐसा जनता में मंत्र की पथ भ्रष्ट विचारों से उठ कर भारतीय बने आदमी...भगवान ना सही..देवता ना सही..अरे आदमी है कम से कम..आदमी तो बने आदमी...!!
उपर लिखी चन्द लाईनों में आज के हालात की सच्चाई बयाँ होती है.. हक़ीक़त करेले पर नीम चढ़ी सी साबित होकर हमें चिढ़ा रही है..ज़रा एक मिनट ठहरिये कहीं आप मुझे निराशावादी आदमी तो नहीं समझ रहे हैं यह सब पढ़ कर...कृपया ऐसा समझने की ग़लती कदापि ना करियेगा..ऊपर जो लिखा है वो एक राष्ट्रीय स्तर के अख़बार की सम्पादकीय है जो मैनें 26 जनवरी की ताज़ा सुबह पढ़ी है...अब अख़बार से प्रगतिशील भारत के निराशावाद की बू आती है तो मैं भला क्या कर सकता हूँ...अख़बार पर नज़र पढने से पहले टेलीविज़न पर ए.आर.रहमान का वन्देमातरम सुन और देख रहा था...जिसने दिन की शुरुवात में ही बसंती रंग घोल दिया था..पर अख़बार ने सारा मज़ा किरकिरा कर दिया सच हक़ीक़त घिनौनी ही नहीं बेमज़ा भी होती है....हम तो ख़ुदा का शुकर मनाते नहीं थकते की हम भारत के सबसे सुरक्षित राज्य छत्तीसगढ़ में रहते हैं.. भले ही महज़ एक और दो रूपयों में मिलने वाले सरकारी चावल खाकर बनिहार (मज़दूर) खेतों से नदारत हैं...शहर या गाँवों में राशन मिले ना मिले विदेशी ब्रांड की शराब सहज-सरल उपलब्ध है...नक्सलियों के हाथों रोज़ पुलिस के जवानों और मासूमों की मौत हो रही है...भू माफियाओं ने ज़मीन की क़ीमत आसमान से ऊंची कर रखी है...छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था ने बेरोज़गारों से खिलवाड़ का ज़िम्मा उठा रखा है...बावजूद इन सब के हम भारत के सबसे सुरक्षित राज्य छत्तीसगढ़ में रहते हैं..इस गुमान की हवा ज़रूर निकल गयी हो पर गुमान तो है कम से कम ! पर यकीनन छत्तीसगढ़ एक धनाढ्य और बेमिसाल राज्य है जिसकी माटी की अपनी एक निराली खूशबू है ! 26 जनवरी के मौके पर सभी ब्लागर बन्धुओं को ढेर सारी शुभकामनायें !!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
ReplyDeletehttp://hamarbilaspur.blogspot.com/2011/01/blog-post_5712.html
शुक्रिया मुकेश जी..आप को भी बधाईयाँ...
ReplyDeleteशुभकामनायें सिर्फ ब्लागरों को ?
ReplyDeleteआपको भी हार्दिक शुभकामनायें ....देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ...अनवरत लिखते रहें .....शुभकामनायें
ReplyDeleteशुक्रिया राम जी प्रयास जारी रखूंगा....
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। सिर्फ ब्लागरों को नहीं, पूरे देशवासियों को। पर मैं इस बात से सहमत नहीं कि हम सुरक्षित हैं। आपने लिखा भी है नक्सलियों से हो रही असुरक्षा को लेकिन क्या असुरक्षा सिर्फ नक्सलियों से है। भ्रष्टाचार क्या कम है छत्तीसगढ में। हर दिन अखबारों की सुर्खियां होती हैं, जिस अधिकारी के घर भी छापा पडे करोडों निकलते हैं। जुआ सटटा, शराबखोरी क्या कम है। प्राकृतिक आपदाएं भले ही न हों पर और आपदाओं की कमी नहीं है, छत्तीसगढ में। नेता भी क्या दूध के धुले हैं। कहने को बहुत कुछ है लेकिन फिलहाल गणतंत्र दिवस का उल्लास बना रहे इसलिए विराम।
ReplyDelete